Saturday 18 June 2016

नवनीत शरण/ अमर उजाला, नई दिल्ली

Updated 04:06 मंगलवार, 24 मई 2016
 केंद्र में राजग शासनकाल के दो साल पूरे होने वाले हैं। सरकार के सभी मंत्रालय अपनी-अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं। रेल मंत्रालय भी अपनी उपलब्धियां गिनाने में पीछे नहीं है। लेकिन रेल यात्री अभी भी कन्फर्म बर्थ नहीं मिलने, पैसेंजर ट्रेन में खड़े होकर सफर करने, खिड़की पर टिकट लेने की जद्दोजहद और जान हथेली पर रखकर यात्रा करने को मजबूर दिखाई पड़ते हैं। इस मामले में यात्री अभी भी अपने को ठगा महसूस करते हैं। हालांकि सफाई व्यवस्था, सोशल नेटवर्किंग साइट से परेशानी दूर होने, अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए मिले प्लेटफार्म, स्टेशनों पर वाई-फाई की सुविधा मिलने से खुश भी है।

यह परेशानी नहीं हुईं कम
कन्फर्म बर्थ आज भी परेशानी का सबब
रेलवे बजट की ज्यादातर घोषणाओं पर अमल तो शुरू हो गया है, लेकिन ट्रेनों में आम आदमी की समस्या कम नहीं हुई। मांग के अनुसार आरक्षित टिकट नहीं मिलना सबसे बड़ी परेशानी है। रेलवे का विजन 2020 तक आम आदमी के लंबे समय से चली आ रही आशा को पूरा करना है, जिसमें ट्रेनों में आरक्षित जगह मांग पर उपलब्ध कराना मुख्य है। तत्काल कोटा से भी यात्रियों को राहत नहीं मिली है।

ट्रेनों की सुस्त रफ्तार
बुलेट व सेमी हाई स्पीड ट्रेन की योजना ने गति तो पकड़ी लेकिन ट्रैक पर अभी भी ट्रेन रफ्तार नहीं पकड़ सकी। रेलवे का यह भी कहना है कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण, जो 2019 तक होना है, इससे ट्रेनें समय पर चलने लगेगी। क्योंकि माल गाड़ी इस कॉरिडोर के निर्माण के बाद अलग पटरियों पर चली जाएंगी। रेलवे की इस लंबी योजना को लेकर जन प्रतिनिधि व सांसद से अपने-अपने क्षेत्र की जनता सवाल पूछ रही है। लोकल ट्रेन की रफ्तार के सुस्त होने के कारण भी यात्री परेशान रहते हैं।

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