Sunday 27 March 2016

सरकार 7वें वेतन आयोग की वेतन विसंगतियों का उचित समाधान करे
दिल्ली : इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन (आईआरईएफ) और ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी) से संबद्ध नार्दर्न रेलवे इम्प्लाइज यूनियन (एनआरईयू) का कहना है कि रेलवे के विकास के साथ ही रेल कर्मचारियों के जीवन स्तर में भी सुधार होना आवश्यक है. केंद्रीय कर्मचारियों के वेतनमानों में सुधार हेतु 7वें वेतन आयोग का गठन जिन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया गया था, उसकी रिपोर्ट के अध्ययन से पता चलता है कि आयोग उन उद्देश्यों की पूर्ति करने में असफल रहा है. 7वें वेतन आयोग द्वारा सरकार को प्रस्तुत रिपोर्ट में काफी खामियां हैं, जिनको प्रस्तुत कर एनआरईयू द्वारा इनका उचित समाधान किए जाने की मांग की गई है.
पे मैट्रिक्स की खामियां दूर की जाएं : प्रथम वेतन आयोग से लेकर 6वें वेतन आयोग की रिपोर्ट के अवलोकन से स्पष्ट है कि ग्रुप ‘डी’ तथा ग्रुप ‘सी’ कर्मचारियों के वेतनमानों को तय करते समय उनकी छोटी आय को देखते हुए, ग्रुप ‘सी’ और ग्रुप ‘डी’ कर्मचारिरयों के वेतनमानों में महंगाई के अनुपात में उचित तारतम्य बैठाने का प्रयास किया जाता रहा है. 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट के अध्याय 5.1.25 सारणी 5 पे मैट्रिक्स से स्पष्ट है कि ग्रुप ‘सी’ कर्मचारियों को 2.57 तथा ग्रुप ‘ए’ कर्मचारियों को 2.81 यानी उच्चतर को और उच्च तथा निम्नतर को और निम्न वेतनमान दिया गया है, जो कि अनुचित है. महंगाई सभी कर्मचारियों के लिए एक समान होती है. अत: सभी को एक समान 2.81 गुना की वेतन वृद्धि दी जाए.
ग्रुप ‘सी’ को ग्रुप ‘डी’ का वेतनमान देना अनुचित : ग्रुप ‘डी’ को कम से कम 28,000 वेतनमान दिया जाना चाहिए. 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट के अध्याय 3.46 एवं 4.2.5 के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों के कैडर ग्रुप ‘डी’ को ग्रुप ‘सी’ में मर्जर कर केवल तीन समूहों यानी ग्रुप ए, बी और सी में ही निर्धारित किया गया है. 7वें वेतन आयोग द्वारा ग्रुप ‘सी’ कर्मचारियों को ग्रुप ‘डी’ का वेतनमान यानी 1800 ग्रेड पे के कर्मचारियों को 18000 का वेतनमान दिया गया है, जबकि 6वें वेतन आयोग में ग्रुप ‘सी’ का वेतनमान 1900 ग्रेड पे से आरंभ किया गया था. वेतन आयोग ने पैरा 4.1.13 तथा 4.2.12 में सरकारी कर्मचारियों के वेतनमानों को प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के वेतनमानों से तुलना करके पैरा 4.2.3, 4.2.8 एवं 4.2.9 तथा 4.2.13 के अनुसार कुल पारिवारिक खर्चों का योग 17,942.98 रुपए यानी 18,000 का वेतनमान तय किया है, जो कि किसी भी प्राकर से उचित नहीं है. जब ग्रुप ‘डी’ का कैडर समाप्त कर दिया गया है, अत: ग्रुप ‘सी’ को प्रारंभिक वेतनमान कम से कम 28,000 रु. दिया जाना चाहिए.
ग्रुप ‘सी’ में शामिल सफाई कर्मियों को 28000 वेतनमान : 7वें वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट के पैरा 11.40.141 में भारतीय रेल के सफाई कर्मचारियों की पूरी तरह उपेक्षा की है. आयोग का मानना है कि सफाई कर्मचारियों की संख्या केवल 30 हजार है, जिनकी वेतनवृद्धि की मांग किसी भी प्रकार से उचित नहीं है, जबकि वास्तविकता यह है कि रेलवे में तीन तरह के सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं. एक - सेनेटरी के तहत रेलवे कालोनियों, रेलवे स्टेशन परिसरों की सफाई करना, दो - रेल गाड़ियों की सफाई करनेवाले, कैरिज एवं वैगन विभाग में कार्यरत कैरिज क्लीनर. तीन - कार्यालयों में साफ-सफाई करनेवाले. सफाई का काम ठेके पर दिए जाने के बावजूद जो कर्मचारी कार्यरत हैं, उनको किस श्रेणी में रखा जाए? सफाई का काम जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, सफाई की उपेक्षा जिंदगी को नारकीय बना सकती है. सफाई कर्मचारियों के पद पर भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता 10वीं निर्धारित की गई है. ग्रुप ‘डी’ का कैडर समाप्त करने के बाद सफाई कर्मचारियों को ग्रुप ‘सी’ में ही शामिल किया गया है. ऐसे में 7वें वेतन आयोग द्वारा सफाई कर्मचारियों की वेतनवृद्धि के लिए की गई बेरुखी किसी भी तरह से जायज नहीं है. अत: सफाई कर्मचारियों को भी ग्रुप ‘सी’ में शामिल करके 28,000 का वेतनमान दिया जाए.
तकनीकी कर्मचारियों के साथ नाइंसाफी : भारतीय रेल का दिन-रात, हर मौसम और कठिन परिस्थितियों में संचालन करने वाले कर्मचारियों, इंजनों, माल/सवारी डिब्बों, रेल पटरी, सिगनल एवं विद्युत विभाग के तमाम कार्यों यानी निर्माण से लेकर रख-रखाव तथा मरम्मत करने वाले तकनीकी कर्मचारियों, जिनकी संख्या लगभग 70 प्रतिशत है, का पदनाम उनकी भर्ती की शैक्षिक योग्यता 10वीं तथा आईटीआई यानी तकनीकी योग्यता के आधार पर रेलवे बोर्ड के पत्र संख्या आरबीई 74/97, क्रम संख्या 003/97, पीसी-111/97/01/63/15/11 और पत्र संख्या पीसी-111/93/Standardization/Pt-11, दि. 16.5.97 के द्वारा आर्टीजन से तकनीशियन किया गया है. 7वें वेतन आयोग द्वारा वेतनमान निर्धारित करते समय पैरा 11.40.126 में तकनीकी कर्मचारियों का उल्लेख पुन: आर्टीजन के तौर पर किया गया है, जिससे तकनीकी कर्मचारियों के साथ घोर नाइंसाफी हुई है. पैरा 7.7.43 में शैक्षिक योग्यता 12वीं तथा दो साल की फार्मासिस्ट की योग्यता तथा तीन माह के ट्रेनिंग प्राप्त को ग्रेड पे 2800 तथा 4600. पैरा 7.7.64 में सहायक स्टोरकीपर, शैक्षिक योग्यता 12वीं, ग्रेड पे 1900, स्टोरकीपर, शैक्षिक योग्यता स्नातक, ग्रेड पे 4200 दिया गया है. पैरा 7.7.71 के आधार पर वर्कशाप के तकनीकी कर्मचारियों, सेमी-स्कील्ड को 1900, स्कील्ड को 2800, हाईली स्कील्ड-1 और 2 को मर्जर कर 4200, मास्टर क्रॉफ्ट्समैन को 4600, चार्जमैन को 4800 तथा 4600 को 5400 देने की संस्तुति की गई है. अत: तकनीशियन को भर्ती स्तर पर 2800 का ग्रेड पे का वेतनमीन दिया जाए. तकनीशियन 1 एवं 2 को मर्जर कर 4200 का ग्रेड पे तथा मास्टर क्रॉफ्ट्समैन को 4600 का ग्रेड पे दिया जाए.
तकनीकी कैडर को जेई कैडर की भांति पदोन्नति : 6वें वेतन आयोग द्वारा कई वेतनमानों को मर्जर किया गया. जेई कैडर को चार से घटाकर दो ग्रुप में एवं पदोन्नति सहायक इंजीनियर ग्रुप ‘बी’ में किया है. जूनियर इंजीनियर, सीनियर सेक्शन इंजीनियर तथा सहायक इंजीनियर के रूप में कैडर पुनर्स्थापित किया गया है. इसके साथ ही 7वें वेतन आयोग ने भी कई ग्रेडों का मर्जर किया है, जबिक तकनीकी कर्मचारियों को पूर्ववत चार कैडर में ही फिर से कर दिया गया, जिससे उनकी पदोन्नति का रास्ता अवरुद्ध हो गया है. अत: तकनीकी कैडर को चार ग्रुप के बजाय तीन ग्रुप में तकनीशियन ग्रेड पे 2800, तकनीशियन-1 ग्रेड पे 4200 तथा वरिष्ठ तकनीशियन ग्रेड पे 4600 तथा तकनीकी सुपरवाइजर ग्रेड पे 4800 यानी जेई के तौर पर किया जाए.
ट्रैक मेंटेनर कैडर को तकनीकी कैडर की भांति पदोन्नति : रेल संचालन के मूल यानी ट्रैक बिछाने से लेकर रख-रखाव एवं मरम्मत का काम करने वाले ट्रैक मेंटेनर कर्मचारियों का पदनाम रेलवे बोर्ड के पत्र संख्या आरबीई 272/98, क्रम संख्या 04, पीसी-111/98/स्टैण्डर्ड/पीटी.11 दि. 1.12.98 के द्वारा शैक्षिक एवं तकनीकी योग्यता के आधार पर ही गैंगमैन से ट्रैकमैन और अब ट्रैक मेंटेनर किया गया. ट्रैक मेंटेनर का कैडर अब चार ग्रुप में किया जा चुका है. अत: ट्रैक मेंटेनर को उसकी योग्यता और काम की कठिनता को देखते हुए ट्रैक मेंटेनर ग्रेड पे 2800, ट्रैक मेंटेनर-1 ग्रेड पे 4200 तथा वरिष्ठ ट्रैक मेंटेनर ग्रेड पे 4600 के आधार पर किया जाए.
ट्रैक मेंटेनर कैडर हेतु रेलवे बोर्ड के निर्देश लागू हों : ट्रैक मेंटेनर कैडर की पदोन्नति के लिए रेलवे बोर्ड के पत्र संख्या आरबीई 81/2013, ई(एनजी)1-2012/पीएम/5/1 दि. 13.8.2013 के द्वारा पदोन्नति का प्रावधान किया गया है तथा पत्र संख्या आरबीई 33/2014, 2012/सीई-1/जीएनएस/20, दि. 1.4.2014 के माध्यम से कैडर रिस्ट्रक्चरिंग का प्रावधान किया गया है. 7वें वेतन आयोग द्वारा भी पैरा 11.40.90 में उपरोक्त प्रावधान को आगे बढ़ाया गया है. 7वें वेतन आयोग द्वारा भी पत्रों के माध्यम से जारी निर्देशों को अभी तक लागू नहीं किया गया है. अत: उपरोक्त आदेशों को शीघ्र लागू किया जाए.
इंजीनियरिंग (वर्क्स) के कर्मचारियों को नियमित पदोन्नति : 7वें वेतन आयोग द्वारा ग्रुप ‘डी’ कैडर को खत्म कर दिया गया है, लेकिन जो पहले से कार्यरत ग्रुप ‘डी’ के कर्मचारी हैं, उनकी पूरी तरह से उपेक्षा कर दी गई है. भारतीय रेल का संचालन करने वाले कर्मचारियों और उनके परिवारों के कार्यालयों, आवासों, रेलवे कालोनियों का रख-रखाव करने वाले इंजीनियरिंग (वर्क्स) विभाग के अधिकतर कर्मचारी ग्रुप ‘डी’ में भर्ती होकर ग्रुप ‘डी’ से ही सेवानिवृत्त होने को मजबूर हैं, जिनकी तरफ कभी न तो रेल अधिकारियों का ध्यान गया और न ही किसी वेतन आयोग का. जिससे उनकी दशा में किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं हुआ है. अत: इंजीनियरिंग विभाग के ग्रुप ‘डी’ कर्मचारियों को भी नियमित पदोन्नति का अवसर प्रदान किया जाए.
सभी विभागों के कर्मचारियों को पदोन्नति का समान अवसर : 7वें वेतन आयोग कि रिपोर्ट के पैरा 4.1.7 में समान कार्य के लिए समान वेतन का प्रावधान करने की व्यवस्था की गई है. पैरा 4.1.9 में एक समान भर्ती पे और ग्रेड पे की व्यवस्था की गई है. रेलवे के कई विभागों में समान ग्रेड में भर्ती होने के बावजूद अलग-अलग विभागों में पदोन्नति के अलग-अलग मापदंड अपनाए जाते हैं, जिसके कारण तकनीकी और गैर-तकनीकी विभागों में समान ग्रेड पे में भर्ती होने वाले कर्मचारियों को समान पदोन्नति का अवसर नहीं मिल पाता है. अत: सभी विभागों में भर्ती की शैक्षिक योग्यता के आधार पर समान ग्रेड और पदोन्नति का समान अवसर दिया जाए. विभागीय रिक्तियों की भर्ती के लिए योग्यता के आधार पर सभी तकनीकी और गैर-तकनीकी कर्मचारियों को विभागीय पदोन्नति परीक्षाओं में शामिल होने के लिए समान अवसर दिया जाए.
समान योग्यता के लिए समान वेतन एवं समान कैडर रिस्ट्रक्चरिंग : पिछले वेतनमानों के दौरान समान योग्यता वाले तकनीकी और गैर-तकनीकी पदों की कैडर रिस्ट्रक्चरिंग में काफी विभिन्नता रही है. 7वें वेतन आयोग द्वारा भारत सरकार की स्किल मिशन योजना को आगे बढ़ाते हुए पैरा 4.1.7 से 4.1.22 में शैक्षिक योग्यता और उच्च कुशलता को मानक मानकर वेतन निर्धारण को तरजीह देते हुए समान वेतनमान देने की बात की है. गौरतलब है कि रेलवे एक ऐसा विभाग है, जिसमें बिना कुशलता वाले कर्मचारियों के रेलवे का सुरक्षित संचालन संभव नहीं है. यानि रेलवे के सभी कर्मचारी उच्च कुशलता प्राप्त होते हैं. यही कारण है कि ग्रुप ‘डी’ की रिक्तियों के लिए भी शैक्षिक योग्यता का मापदंड 10वीं तथा आईटीआई के साथ अनुभव और विभागीय प्रशिक्षण रखा गया है. लेकिन पिछले वेतन आयोगों की तरह 7वें वेतन आयोग ने भी तमाम ग्रुप ‘सी’ कर्मचारियों को समान वेतनमान न देकर भेदभाव को बरकरार रखा है. पैरा 4.1.12 तथा 4.1.19 में भर्ती हेतु शैक्षिक योग्यता और कुशलता के साथ ही उत्तरदायित्व तथा पैरा 4.1.22 में समान कार्य के लिए समान वेतनमान देने की संस्तुति की है. अत: सभी विभागों के समान योग्यता वाले पदों के कर्मचारियों को एक समान कैडर रिस्ट्रक्चरिंग कर समान वेतन एवं पदोन्नति का अवसर दिया जाए.
बोनस को सीधे मूल वेतन के साथ जोड़ा जाए : बोनस की सीमा को निर्धारित करने के लिए उत्पादन को आधार मानने का प्रावधान पैरा 4.1.23 में किया गया है. वास्तविकता यह है कि बोनस की घोषणा 78 दिन की होती है और कर्मचारियों को बोनस की रकम महज 8,975 रुपए ही मिलती है. बोनस की सीमा को समाप्त किया जाए तथा बोनस को सीधे मूल वेतन के साथ जोड़ने का प्रावधान किया जाए. यानी ढाई या कम से कम दो माह का मूल वेतन दिया जाए.
विभिन्न भत्तों को नियमित कर, मूल वेतन का 30% दिया जाए : 7वें वेतन आयोग द्वारा पैरा 8.1 में कई भत्तों को बंद कर दिया गया है. दूसरे अन्य विभागों में कर्मचारियों और अधिकारियों को देय कई भत्ते अनुचित हो सकते हैं. परंतु रेलवे में जिन भत्तों को बंद किया गया है, वह किसी भी दशा में रेलवे के हित में नहीं है. रेल कर्मचारियों की ड्यूटी रात-दिन और 24 घंटे कठिन परिस्थितियों एवं आपातकालीन स्थितियों में रेलवे के संचालन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है, जिसकी एवज में ये भत्ते दिए जाते हैं. जैसे ब्रेक डाउन भत्ता, साइकिल भत्ता, रात्रि ड्यूटी एवं पेट्रोलिंग भत्ता, ओवर टाइम भत्ता, जोखिम भत्ता, किलोमीटर भत्ते आदि. अत: रेल कर्मचारियों के तमाम भत्ते रेलवे की आवश्यकता एवं कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी के आधार पर नियमित कर, मूल वेतन का 30 प्रतिशत दिया जाए.
डीए पूर्ववत किया जाए या शत-प्रतिशत आवास उपलब्ध कराया जाए : 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट में मकान किराया भत्ता बढ़ाने के बजाए कटौती करने का प्रस्ताव दिया है, जो किसी भी दशा में उचित नहीं है. 1990 के बाद वैश्वीकरण की दिशा में कदम बढ़ाते ही प्लाटों के भाव में बेतहाशा बढ़ोत्तरी होने लगी, जिसके परिणामस्वरूप मकानों के दामों के साथ ही, मकान के किरायों में भी भारी वृद्धि हुई है. रेलवे के पास ग्रुप ‘ए’ और ग्रुप ‘बी’ अधिकारियों को छोड़कर ग्रुप ‘सी’ और ग्रुप ‘डी’ कर्मचारियों को देने के लिए पर्याप्त रेलवे मकान उपलब्ध नहीं हैं, जिससे करीब 70 प्रतिशत ग्रुप ‘सी’ और ग्रुप ‘डी’ कर्मचारियों को किराए के मकान में रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है. बढ़ती महंगाई के अनुपात में मकान किराया भत्ता बढ़ाने के बजाय घटाना हर हालत में अनुचित है. अत: मकान किराया भत्ता पूर्ववत किया जाए या सभी कर्मचारियों को रहने के लिए 100 प्रतिशत रेलवे आवास उपलब्ध कराया जाए.
सभी रेल कर्मचारियों को उच्च शैक्षिक योग्यता भत्ता : 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट के पैरा 8.9 में शैक्षिक भत्ता देना अनुमान्य किया है. रेलवे सहित अन्य विभागों के कर्मचारियों को उच्च शैक्षिक योग्यता भत्ता दिया जाता है, जबकि रेलवे के ही अन्य विभागों में भर्ती योग्यता से अधिक शैक्षिक योग्यता हासिल करने वाले कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया जाता है. सभी कर्मचारियों को बिना किसी भेदभाव के एक समान उच्च शैक्षिक योग्यता भत्ता दिया जाए.
परफारमेंस आधारित वेतनवृद्धि निर्धारण फार्मूला अनुचित : 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट के पैरा 4.1.23 में कर्मचारियों की पदोन्नति एवं वेतनवृद्धि के लिए परफारमेंस को आधार बनाया गया है. जाहिर है कि अधिकारीगण कर्मचारी के काम से कम उसकी चाटुकारिता से ज्यादा खुश रहते हैं. ऐसे में जिन कर्मचारियों का अपने उच्च अधिकारियों से उचित लगाव नहीं होगा, अधिकारी वर्ग ईमानदार और कर्मठ कर्मचारियों की परफारमेंस जानबूझकर खराब करके मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना को बढ़ावा देगा. अत: इस व्यवस्था को निरस्त किया जाए.
रेल संरक्षा/सुरक्षा हेतु आउटसोर्सिंग तथा ठेकेदारी प्रथा घातक : 6वें वेतन आयोग द्वारा बिना कुशलता वाले कार्यों को यानी ग्रुप ‘डी’ का पद समाप्त करने की कार्य योजना को मूर्त रूप देने के लिए आउटसोर्सिंग और ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दिया गया, जो कि निहायत ही त्रुटिपूर्ण एवं रेलवे सुरक्षा/संरक्षा के लिहाज से पूर्णत: आत्मघाती कदम है. उसे आगे बढ़ाते हुए 7वें वेतन आयोग द्वारा पैरा 3.72, 3.74 तथा 3.83 में डीओपीटी के हवाले से बिना दक्षता वाले कामों के ग्रुप ‘डी’ के पदों को समाप्त करने का प्रावधान किया गया है. पैरा 4.1.12 में भर्ती स्तर पर शैक्षिक योग्यता के आधार पर कार्य, कार्य की परिस्थितियां, कार्य की भूमिका और जिम्मेदारी की स्थितियों को उजागर करने का प्रावधान किया गया है.
वास्तविकता यह है कि रेलवे में केवल कार्यालयों में काम करने वाले ग्रुप ‘डी’ के अलावा सारा काम तकनीक किस्म का ही है. 7वें वेतन आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट के पैरा 11.40.9 में भारतीय रेलवे द्वारा वर्ष 2010 से 2013 तक हुए कुल खर्चों का जो ब्यौरा प्रस्तुत किया गया है, उससे स्पष्ट है कि वर्ष 2010-11 के अनुपात में 2012-13 में कांट्रेक्ट आधार पर किए गए कार्यों के खर्चों में बढ़ोत्तरी हुई है. इसका सीधा अर्थ यह है कि रेलवे का तमाम कार्य रेल कर्मचारियों के हाथों से छीनकर प्राइवेट कर्मचारियों के माध्यम से कराने यानी आउटसोर्सिंग और ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है. यह रेलवे की सुरक्षा और संरक्षा की दृष्टि से बहुत ही घातक है.
रेलवे की सुरक्षा एवं संरक्षा रेल कर्मचारियों के परिवारों के भविष्य के साथ जुड़ी हुई है. जबकि ठेकेदारों का मकसद केवल मुनाफा कमाना है. निजी क्षेत्र रेलवे के तमाम अंदरूनी भेदों को जानकर, अपने फायदे के हिसाब से रेलवे के सुरक्षा कवच को भेदने का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं. अत: जो पैसा कांट्रेक्ट कर्मचारियों पर खर्च किया जा रहा है, यानि आउटसोर्सिंग और ठेकेदारी प्रथा के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से हो रही रेलवे की लूट पर रोक लगाई जाए. थोड़े से पैसे बचाने के लिए रेलवे को ठेकेदारों के हवाले करना रेलवे की सुरक्षा में गहरी सेंध है. अत: ग्रुप ‘डी’ के सफाई कर्मचारियों सहित अन्य खाली पदों पर नियमित भर्ती का प्रावधान किया जाए, जिससे रेलवे की सुरक्षा और संरक्षा व्यवस्था बरकरार रह सके.
उपरोक्त के आधार पर स्पष्ट है कि 7वां वेतन आयोग रेलवे विभाग के मामले में वेतन आयोग के मूल उद्देश्यों की पूर्ति करने में नाकाम साबित हुआ है. पूर्व के वेतन आयोगों के समय से ही चल रही तमाम वेतन विसंगतियों को दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है. उन्हें ज्यों का त्यों छोड़ दिया गया है. साथ ही वेतन विसंगतियों की खाई को और भी बढ़ा दिया गया है. अत: सरकार द्वारा उपरोक्त तमाम खामियों एवं वेतन विसंगतियों का उचित समाधान किया जाना चाहिए

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